चमकते चेहरे के पीछे मेहनत का रंग
(There is always hard work behind every shining face)
बड़े बड़े और भव्य भवन, जहाँ की हर दीवार कुछ ना कुछ बोलती हो, जिसका कोना-कोना रोशनी से नहाया हुआ हो, उसकी छत को देखो तो मानो पूरा का पूरा तारामंडल एक जगह समेट दिया हो, साफ सुथरा फर्श जहाँ धूल का लेश मात्र भी नाम ना हो, चारों ओर भीनी भीनी महक और बड़े बड़े, आरामदायक सोफा, इधर ही कहीं कड़क और इस्त्री किए हुए कपड़ो में कोई नौजवान युवक या कोई खूबसूरत सी युवती आपको दिखाई देती है जिसके चमकते चेहरे को देख कर ही अनायास आपको खुशी मिलती है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि ये कहीं और नही बल्कि सितारा होटल है, जहाँ पर कुछ इसी तरीके का माहौल मिलता है।
अब अगर इसी माहौल को एक बार फिर से ढंग से देखें और कल्पना करें कि इस आरामदायक माहौल में अगर आपको कोई चेहरा ना दिखे तो क्या तब भी यही दृश्य आपको खुशी देगा? मुझे लगता है कि नही। तब ये बड़े और आलीशान भवन कोई चमकदार डरावने बंगले लगेंगे इससे अधिक और कुछ नहीं। इसी के साथ अगर ये भी कल्पना करे कि यही चमकदार और दमकते चेहरे अगर कोई उदासी या किसी रोष के साथ आपको दिखाई दे तो वे भी आपको भयानक बंगले के भूत जैसे ही प्रतीत होंगे।
कितना जरूरी है ना होटल में काम करते हुए लोगों का मुस्कुराना। सिर्फ दूसरों को खुश रखने के लिए, उनका पूरा दिन अच्छे से बिताने के लिए और अपने आस पास के वातावरण में साकारात्मकता लाने के लिए, ये चमकदार लोग पूरे दिन भर अपने चेहरे पर मधुर मुस्कान लिए अपना काम किए जाते हैं।
आप अगर गौर करें, तो होटल में काम करता हुआ कोई भी व्यक्ति आपको क्या कभी दुःखी दिखाई दिया है? या फिर कभीआपको गुस्से से कभी जवाब दिया है? या फिर उसके चेहरे का रंग कभी आपको फीका सा दिखाई दिया है? तो इसका जवाब आपके पास “ना” में ही होगा। क्योंकि आपने तो वहाँ उपस्थित हर एक कर्मचारी को साफ सुथरे चमकते हुए और मुस्कुराते हुए ही देखा होगा। चाहे आपकी गाड़ी को पार्क करता हुआ ‘valet’ हो, या बड़े से गेट के आगे कोई दरबान हो, या फिर आपका अभिनंदन करती युवती सब अपने चमकते चेहरों के साथ ही दिखेंगे। इसके साथ ही साथ आपको खाना परोसते हुए वेटर/ स्टीवर्ड, या होटल को सजाने वाला हाउस कीपिंग भी मुस्कुराता हुआ ही मिलेगा। सिर्फ यही नही ‘live kitchen chef’ तो आपको गर्म सुर्ख तंदूर में काम करता हुआ सोने जैसा ही दिखेगा।