वैसे इन दो शब्दों से तो हर किसी को पता ही चल गया होगा की यह ‘लूण’ एक नमक ही है, क्योंकि नमक को अन्य बोलियो में भी लूण ही कहा जाता है। ये दो शब्द उन लोगों के कानों के लिए तो बिल्कुल भी नया नही है जिनका संबंध पहाड़ से है। पहाड़ी लूण का मतलब, पहाड़ में पाया जाने वाला नमक ही है, लेकिन ये नमक कोई मामूली नमक नही अपितु “पिस्यूं लूण” है।
अब तो पिस्यूं लूण का मतलब वही समझ सकता है जिसने ‘उत्तराखंड का नमक’ खाया हो। और इसका तो सिर्फ नाम ही काफी है मुँह में पानी लाने को, क्योंकि इसको सुनते ही, बड़ा सा खीरा, बड़े बड़े लिम्बा, चकोतरा, गाजर, मूली, कच्मोली, मंडुआ रोटी और ना जाने ऐसे अनगिनत फल और सब्जी याद आ जाते हैं जिनका स्वाद पिस्यूं लूण के बिना अधूरा है।
अब थोड़ा ये भी बताया जाय कि ये है क्या? ‘पिस्यूं लूण’ का अर्थ है, ‘पिसा हुआ नमक’। देखा जाय तो ये एक साधारण नमक ही है क्योंकि इसको बनाने के लिए बहुत ही साधारण सी सामग्री की आवश्यकता होती है। सिर्फ हरा धनिया, पुदीना, लेहसून कली या उसके हरे पत्ते, हरी मिर्च, और नमक को साथ मे पीसने से ही ये पिस्यूं लूण तैयार हो जाता है। लेकिन अब इसके स्वाद को और बढ़ाने के लिए कोई अदरक तो कोई तिल भी मिलाते है। चाहे आप कुछ भी लूण बनाये एक खास बात है, जो इस साधारण से नमक को भी खास बनाता है और वो है ‘सिल’।
इन सभी सामग्री को साथ में सिल-बट्टे से पीसने से ही इस साधारण से नमक को भी शाही बनाया जाता है। सिल में जब नमक मिर्च और पत्तों को साथ में रख कर उपर से बट्टा चलाते हैं तो सिल-बट्टे की आपस की घरड् घरड् की आवाज से ही एक महक आ जाती है। ताजी हरी मिर्च, लेहसून की जोरदार महक, और अगर उसमे हींग अजवाइन का भी कुछ पुट हो तो, आप ये माने कि हम उतराखंडियों को ये महक किसी भी शाही व्यंजन की महक से भी ऊँची ही लगती है।
यहाँ पर जब भी घरों में मंडुआ (finger millet) की रोटी बनाई जाती है तो पिस्यूं लूण का मूल्य इतना बढ़ जाता है कि साथ में परोसी गई सब्जी भी फीकी जान पड़ती है। सर्दियों की गुनगुनी धूप में बैठ कर माल्टा, लिंबा (citrus fruit) मूली की कच्बोली (small cuts of fruit/vegitable, mixed salad) को आप बिना पिस्यूं लूण के खाने की कल्पना भी नहीं कर सकते और अगर आपने पहाड़ी कखडी इसके बिना खायी है तो उसका स्वाद आपने अधूरा ही लिया है। क्योंकि जितना पानी उस कखडी में होता है उतना पानी तो आपके मुँह में ही आ जाता है, जब आप पिस्यूं लूण को कखडी के उपर देखते हैं। फल भी अपनी मिठास और इसके नमकीन स्वाद को एक साथ मिला कर एक बढ़िया जुगलबंदी करते हैं।
अब जब हर कार्य जल्दी में होता है तो कुछ लोग इसे मिक्सी में भी पीसते है, लेकिन सिल-बट्टे की ‘घरड् घरड्’ की बात मिक्सी की ‘घूं घूं’ में कहाँ। जो स्वाद पारंपरिक तरीके से बने नमक का है वह आपको आधुनिक यंत्रों में बिल्कुल भी नही मिलेगा। उत्तराखंड का पिस्यूं लूण की महक और स्वाद अब आपको उत्तराखंड से बाहर भी मिल सकता है क्योंकि अब यहाँ की कई संस्था इसे अपने नए नए स्वाद के साथ ऑनलाइन माध्यम से बेच भी रहे है। आप इस साधारण से लूण को घर में बना कर हर खाने का स्वाद बढ़ा सकते हैं।
विधि:- पिस्यूं लूण
– ताजी हरी मिर्च – 3-4
– लहसुन कली / पत्ते – 5-6
– हरा धनिया – एक मुट्ठी भर
– पुदीना पत्ती मौसमानुसार
– नमक – 1 छोटी कटोरी
– हल्की सिकी अजवाइन/ जीरा- एक छोटा चम्मच
बस इन सभी को सिल-बट्टे में बड़े प्यार से और मेहनत से पीसे और आनंद लीजिए पहाड़ी लूण/ पिस्यूं लूण का।।
Well said, i love phadi lun